puja Bachbaras बैतूल अग्रवाल मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने सामूहिक रूप से की बछ बारस की पूजा

नितिन अग्रवाल


puja of Bachbaras बैतूल अग्रवाल मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने सामूहिक रूप से की बछ बारस की पूजा

बैतूल भाद्रपद मास (भादों) की कृष्णपक्ष की द्वादशी तिथि के दिन बछ बारस (Bach Baras) का पर्व मनाया जाता हैं। बैतूल में अग्रवाल मारवाड़ी समाज की महिलाओं ने बछ बारस की पूजा करुणा गर्ग के निवास स्थान पर सामूहिक रूप से की महिला मंडल के अध्यक्ष श्रीमती मंजू गर्ग ने बताया कि बेटे की मां अपने बेटे की लंबी उम्र और उनकी अच्छी सेहत के कामना के लिए यह पूजा और व्रत करती है साथी उन्होंने बताया कि

इस दिन पुत्रवती स्त्रियाँ अपने पुत्र के स्वास्थ्य और लम्बी उम्र के लिये गौमाता से प्रार्थना करती हैं और बछड़े वाली गाय का पूजन करती हैं। इस दिन चाकू से काटी गई वस्तुयें, गेहूँ, जौ, और गाय के दूध से बनी चीजों का सेवन निषेध हैं। एक दिन पहले ही रात्रि को बछबारस (Bachbaras) के लिये मूंग, मोठ, चने एवं बाजरा भिगो कर रख दिया जाता है। उसे भिजोना कहते हैं।

बछवारस (वत्स द्वादशी) क्यों मनाते हैं?

हमारे आराध्य श्री कृष्ण को गायों से बहुत प्रेम था। उन्होने गौ-सेवा के महत्व को लोगों को बताया और गाय को माता कहकर उसकी पूजा को प्रतिपादित किया। भगवान श्री कृष्ण स्वयं गायों की सेवा किया करते थें। उनके गायों के प्रति इस प्रेम को देखकर स्वयं कामधेनू ने बहुला गाय का रूप लेकर नंदबाबा की गौशाला में स्थान लिया था

भगवान श्री कृष्ण का एक नाम गोपाल भी है। इस दिन पहली बार भगवान श्री कृष्ण गायों और बछड़ों को चराने के लिये गये थे। माता यशोदा ने श्री कृष्ण को खूब सजा-धजा कर और पूजा पाठ कराकर इस दिन गाय चराने के लिये भेजा था। उनके साथ उनके बड़े भाई बलराम भी थें। श्री कृष्ण उनके साथ गायों और उनके बछड़ों को लेकर चराने के लिये गये थे। इसलिये इस दिन सब लोग गौ-पूजा करके भगवान श्री कृष्ण द्वारा दिये गये गौ-सेवा के संदेश को सम्मान देकर इसे एक पर्व के रूप में मनाते हैं।

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