बैतूल जिला अस्पताल में रिश्वत कांड! डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर लगा ऑपरेशन के नाम पर 5 हजार की वसूली का आरोप, पांच दिन बाद भी जांच अधूरी!

नितिन अग्रवाल 


 बैतूल जिला अस्पताल में रिश्वत कांड! डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ पर लगा ऑपरेशन के नाम पर 5 हजार की वसूली का आरोप, पांच दिन बाद भी जांच अधूरी!

शिकायतकर्ता के लिखित शिकायत के बाबजूद शिकायतकर्ता गरीब ग्रामीण को दूर दराज ग्राम से बैतूल आने के लिए बनाया जा रहा दवाब 

शिकायतकर्ता को इस प्रकार परेशान करने के कारण कोई नहीं करता शिकायत 

बैतूल | जिला चिकित्सालय में भ्रूण हत्या नहीं, अब भ्रष्‍टाचार की सर्जरी चल रही है! जिला अस्पताल की महिला चिकित्सक डॉ. वंदना धाकड़ और पांच नर्सिंग स्टाफ पर सीजर ऑपरेशन के नाम पर ₹5000 रिश्वत लेने के गंभीर आरोप लगे हैं। इस सनसनीखेज मामले को 5 दिन बीत जाने के बाद भी जांच पूरी नहीं हो पाई है,

🔴 यह है पूरा मामला:

आठनेर ब्लॉक के ग्राम अंधेरबावड़ी निवासी जयदेव सेलुकर ने लिखित शिकायत में बताया कि 29 जून को उनकी पत्नी संगीता को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। 1 जुलाई तक सामान्य प्रसव नहीं हुआ, और इसी दौरान डॉक्टर व स्टाफ ने सीजर ऑपरेशन के लिए ₹5000 की मांग की। मजबूरी में रुपए देने के बाद ऑपरेशन किया गया।

जयदेव का आरोप है कि डॉ. वंदना धाकड़ ने खुद पैसे की मांग की। इस अन्याय के खिलाफ आदिवासी युवकों ने गुरुवार शाम को अस्पताल परिसर में जोरदार प्रदर्शन भी किया।

⚖️ प्रशासन ने क्या कदम उठाए?

✔️ सीएमएचओ डॉ. मनोज हुरमाड़े ने तुरंत डॉ. धाकड़ को मैटरनिटी वार्ड से हटा दिया।

✔️ सिविल सर्जन डॉ. जगदीश घोरे ने डॉ. धाकड़ समेत पांच नर्सिंग स्टाफ को कारण बताओ नोटिस जारी किया है।

✔️ मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय डॉक्टरों की विशेष टीम बनाई गई है —

डॉ. परिहार

डॉ. रूपेश पदमाकर

डॉ. एस.के. रघुवंशी (शाहपुर)

यह टीम अपनी रिपोर्ट सीएमएचओ और सिविल सर्जन को सौंपेगी। यदि दोष सिद्ध होता है तो कड़ी अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी।

👁️ सिविल सर्जन ने किया निरीक्षण:

इस पूरे घटनाक्रम के बाद शुक्रवार को सिविल सर्जन डॉ. घोरे व आरएमओ डॉ. रानू वर्मा ने महिला व शिशु चिकित्सा इकाई का निरीक्षण किया। उन्होंने स्टाफ को सख्त निर्देश दिए कि किसी भी प्रसूता या परिजन से कोई आर्थिक मांग न की जाए, अन्यथा परिणाम गंभीर होंगे।

⏳ लेकिन सवाल अभी बाकी हैं:

➡️ डाक्टर की जांच डाक्टरों द्वारा किस हद तक उचित 

➡️ पांच दिन बाद भी जांच रिपोर्ट क्यों नहीं आई?

➡️ क्या किसी तरह की अंदरूनी बचाव कोशिश की जा रही है?

➡️ आदिवासी महिला से रिश्वत लेना क्या दोहरा शोषण नहीं?

📣 जनता का सवाल – न्याय कब?

इस मामले ने जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। अब सबकी निगाहें डॉक्टरों की जांच टीम और प्रशासन की कार्रवाई पर हैं। जनता और पीड़ित परिजन तुरंत और पारदर्शी कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।


इनका कहना 

सीएमएओ डॉ. मनोज हुरमाड़े से जांच के संबंध में पूछे जाने पर कहां शिकायतकर्ता को जांच टीम द्वारा बयान लिए बुलाया गया है 



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