✍️ नितिन अग्रवाल
बैतूल की पंचायतों में भ्रष्टाचार की बेलगाम दास्तान! बाकुड़ से ढोक्या तक विकास योजनाएं बनीं लूट का अड्डा – प्रशासन बना मौन दर्शक
बैतूल | एक तरफ सरकार "पंचायती राज" को ग्रामीण विकास की रीढ़ बताकर करोड़ों रुपये खर्च कर रही है, वहीं दूसरी तरफ बैतूल जिले की पंचायतों में इन योजनाओं की हकीकत भ्रष्टाचार की दलदल में फंसी हुई है। ग्राम पंचायत बाकुड़ में निर्माण कार्यों में भारी अनियमितताओं और भ्रष्टाचार के विरोध में ग्रामीणों ने जिला पंचायत सीईओ को ज्ञापन सौंपकर निष्पक्ष जांच की मांग की है।
लेकिन यह अकेला मामला नहीं है — ढोक्या, बाजारपुर, खड़ला, और कई पंचायतों से भी फर्जीवाड़े, घटिया निर्माण और सरकारी राशि की लूट की खबरें सामने आती रही हैं। बावजूद इसके, बैतूल जिला प्रशासन अब तक मौन है।
🛑 बाकुड़ पंचायत: भ्रष्टाचार की खुली किताब
ग्राम पंचायत बाकुड़ के ग्रामीणों ने शुक्रवार को जिला पंचायत के सीईओ को सौंपे ज्ञापन में बताया कि:
स्टॉक डेम, रपटा और पुल जैसे स्थायी कार्यों में घटिया निर्माण किया गया है, जो कुछ ही समय में टूट-फूट गए।
फर्जी बिलों के माध्यम से लाखों की राशि निकालने के गंभीर आरोप हैं।
उप-स्वास्थ्य केंद्र में घटिया सामग्री का उपयोग कर शासकीय धन का दुरुपयोग किया जा रहा है।
ग्राम जुआंझर में आंगनबाड़ी भवन केवल कागजों पर बना है। जमीन पर न ईंट है, न छत – फिर भी राशि निकाल ली गई है।
⚠️ ढोक्या पंचायत: स्कूल बाउंड्री में भी भ्रष्टाचार
ढोक्या ग्राम पंचायत में स्कूल बाउंड्रीवॉल के निर्माण कार्य की राशि बिना र्निमाण कार्य के एक शाल पुर्व निकाल लेने का मामला शिकायत के बाद कार्य चालू करवाना उसमें भी घटिया सामग्री और भ्रष्ट कार्यप्रणाली का शिकार है। की गुणवत्ता शून्य है। यह दर्शाता है कि शिक्षा जैसी संवेदनशील योजना को भी ठेकेदार-सरपंच की मिलीभगत ने शर्मसार कर दिया है।
📢 जनता का सवाल: क्या जिला प्रशासन की आंखें बंद हैं?
पंचायतों में हो रहे इस खुले भ्रष्टाचार पर न तो जनपद स्तर पर निगरानी है, न ही जिला पंचायत सीईओ की कोई पहल दिखती है। ये वही जिला है जहां:
नल-जल योजना में नल सूखे पड़े हैं, लेकिन भुगतान पूरा हो चुका है।
मनरेगा में बिना काम मजदूरी भुगतान के मामले प्रकाश में आए
स्वच्छ भारत मिशन के तहत शौचालयों के नाम पर पैसे निकाले गए, लेकिन शौचालय नहीं बने।
🔍 स्वतंत्र जांच की मांग और जनता की चेतावनी
ग्रामीणों की मांग है कि:
सभी निर्माण कार्यों की स्वतंत्र तकनीकी जांच कराई जाए।
दोषी सचिव, सरपंच, इंजीनियर और ठेकेदारों के विरुद्ध FIR दर्ज हो।
जांच में देरी करने वाले अधिकारियों पर भी कार्रवाई हो।
अगर प्रशासन ने जल्द कड़ा एक्शन नहीं लिया, तो ग्रामीणों ने जिला मुख्यालय पर आंदोलन की चेतावनी दी है।
❗ क्या प्रशासन संरक्षक की भूमिका में?
जब जनता भ्रष्टाचार की शिकायत लेकर सामने आ रही है, तब प्रशासन की चुप्पी संदेह पैदा करती है। क्या यह सब ऊपरी संरक्षण में हो रहा है? क्या जिला प्रशासन सिर्फ कागज़ों में पारदर्शिता दिखाकर ज़मीनी सच्चाई से मुंह मोड़ रहा है?
🗣️ अब जनता जाग गई है – 'अब नहीं सहेंगे भ्रष्टाचार!'
बैतूल जिले की जनता अब यह साफ कर चुकी है कि यदि प्रशासन कार्रवाई नहीं करता, तो ग्रामीण अपने स्तर पर न्याय के लिए आंदोलन करेंगे।
> पंचायतों को लूट का केंद्र नहीं बनने देंगे – अब हर पाई का हिसाब लिया जाएगा!
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