मुलताई से पियूष शर्मा
अधिकारियों का काम जनता तक जानकारी पहुँचाना, लेकिन मुलताई BMO बने ‘मौन साधु’
मुलताई। आज दिनांक 26/09/2025 को सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र, मुलताई में “स्वस्थ नारी, सशक्त परिवार” अभियान के अंतर्गत विशाल स्वास्थ्य जांच शिविर का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ विधायक श्री चन्द्रशेखर देशमुख, नगरपालिका अध्यक्ष वर्षा गडेकर, जनपद अध्यक्ष नान्ही बाई डहारे, श्री उपेन्द्र पाठक, श्री गणेश साहु, राजु जैन और श्री राजेश हिग्वे के आतिथ्य में सरस्वती माँ की प्रतिमा पर दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।
शिविर में कुल 1793 मरीजों का पंजीयन हुआ। इनमें –
शुगर जांच : 577
बी.पी. जांच : 577
महिला एवं बाल सर्वाइकल जांच : 346
हीमोग्लोबिन जांच : 715
टी.बी. जांच : 141
एच.आई.वी. जांच : 72
सिकल सेल जांच : 715
इन सभी मरीजों का प्राथमिक उपचार कर परामर्श दिया गया। महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा “पोषण माह” कार्यक्रम के अंतर्गत आकर्षक पोषण प्रदर्शनी भी लगाई गई। इसमें परियोजना अधिकारी गीता मालवीय और क्षेत्रीय पर्यवेक्षकों ने स्थानीय उत्पादों व पौष्टिक खाद्य पदार्थों की जानकारी दी। महिलाओं और बच्चों को मोटे अनाज, अंकुरित दालें, हरी सब्जियाँ और मौसमी फल आहार में शामिल करने की सलाह दी गई।
स्वास्थ्य विभाग की टीम ने महिलाओं को एचबी, बीपी, शुगर जांच के साथ यह भी समझाया कि वसायुक्त पदार्थों का कम उपयोग करें, ताकि मोटापा और उससे जुड़ी बीमारियों से बचा जा सके। शिविर में 6 विकलांग बच्चों को चिन्हित कर जिला चिकित्सालय रेफर किया गया ताकि उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र जारी हो सके।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में समुदाय के लोग, महिला एवं बाल विकास की कार्यकर्ताएँ और स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारी उपस्थित रहे।
लेकिन इतने बड़े और ऐतिहासिक कार्यक्रम के बाद भी, जब पत्रकारों ने मुलताई BMO (Block Medical Officer) से सरकारी योजना पर बयान लेने की कोशिश की, तो उन्होंने साफ इंकार कर दिया।
BMO ने कहा—“मैं पत्रकारों को कोई व्हाइट नहीं दूंगा।”
चौंकाने वाली बात यह है कि जब से मौजूदा BMO ने मुलताई में पदभार संभाला है, तब से आज तक उन्होंने किसी भी पत्रकार को बाइट/व्हाइट नहीं दी है। पत्रकारों से लगातार कतराने का यह रवैया अब चर्चा का विषय बन गया है।
👉 सवाल साफ है—
जब शासन इतना बड़ा अभियान चला रहा है, तो अधिकारी जनता से संवाद क्यों नहीं करना चाहते?
आखिर मुलताई BMO पत्रकारों से बात करने से क्यों कतराते हैं?
क्या यह जनता तक जानकारी न पहुँचाने की लापरवाही नहीं है?
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