🔥 बैतूल से हिला देने वाली खबर 🔥कफ सिरप बना ज़हर! 3 साल का हर्ष वेंटिलेटर पर – दोनों किडनी फेल, परिजनों का आरोप: डॉक्टरों ने बार-बार लिखी ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप

 नितिन अग्रवाल 


🔥 बैतूल से हिला देने वाली खबर 🔥कफ सिरप बना ज़हर! 3 साल का हर्ष वेंटिलेटर पर – दोनों किडनी फेल, परिजनों का आरोप: डॉक्टरों ने बार-बार लिखी ‘कोल्ड्रिफ’ सिरप


मध्य प्रदेश के बैतूल जिले के टीकाबर्री गांव से एक दर्दनाक खबर सामने आई है।

3 साल 8 महीने का मासूम हर्ष यदुवंशी आज नागपुर मेडिकल कॉलेज के वेंटिलेटर पर जिंदगी और मौत से जूझ रहा है।

परिवार का आरोप है — डॉक्टरों की लापरवाही और ‘कोल्ड्रिफ सिरप’ ने उनके बच्चे की दोनों किडनियां खराब कर दीं।

💔 घर का चंचल बेटा, अब वेंटिलेटर पर

हर्ष अपने परिवार का सबसे प्यारा और खिलखिलाता बच्चा था।

लेकिन अब वही मासूम कृत्रिम सांसों के सहारे जिंदगी से लड़ रहा है।

परिवार के घर में मातम पसरा है — दादा देवा यदुवंशी फोन पर फूट-फूटकर रोते हैं,

> “मेरा पोता अब हिल भी नहीं पा रहा... बस मशीनों पर ज़िंदा है।”

🩺 डॉक्टरों ने बार-बार वही दवा लिखी

करीब एक महीने पहले हर्ष को हल्का बुखार आया था।

परिजन उसे परासिया के डॉक्टर प्रवीण सोनी के पास ले गए, जिन्होंने परचे में ‘कोल्ड्रिफ सिरप’ समेत कुछ और दवाइयाँ लिखीं।

लेकिन दवा लेने के बाद हर्ष की हालत सुधरने की बजाय और बिगड़ती गई।

25 सितंबर को तबीयत और बिगड़ी तो परिवार डॉक्टर अमित ठाकुर के पास गया।

यहाँ भी इलाज में वही सिरप जारी रही — और नतीजा,

हर्ष का यूरिन पूरी तरह बंद हो गया।

🚨 किडनी फेल, इलाज में टूट चुका परिवार

बैतूल के चार अस्पतालों ने भर्ती करने से मना कर दिया।

मजबूरन परिजन हर्ष को नागपुर ले गए।

कई निजी अस्पतालों में इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन खर्च इतना बढ़ गया कि ढाई लाख रुपये खर्च होने के बाद भी बचाव नहीं हुआ।

मेडिकल कॉलेज नागपुर में डॉक्टरों ने बताया —

“बच्चे की दोनों किडनियाँ फेल हो चुकी हैं।”

⚠️ कोल्ड्रिफ सिरप पर सवाल

परिवार का दावा है कि डॉक्टरों ने बार-बार वही सिरप दी, जिससे बच्चे की यह हालत हुई।

अब हर्ष का जीवन मशीनों पर टिका है और परिवार न्याय की गुहार लगा रहा है।

यह मामला न सिर्फ़ एक परिवार का दर्द है, बल्कि सवाल खड़ा करता है दवाओं की सुरक्षा और डॉक्टरों की जिम्मेदारी पर।

🕯️ एक मासूम की साँसों की लड़ाई

टीकाबर्री का हर्ष अब एक नाम नहीं — एक चेतावनी है।

दवाइयों में ज़रा-सी लापरवाही, एक निर्दोष जीवन पर भारी पड़ सकती है।

आज पूरा गांव उसकी सलामती की दुआ कर रहा है...

क्योंकि हर धड़कन, अब एक उम्मीद बन चुकी है।

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