नितिन अग्रवाल
बैतूल बुजुर्गों का पैर पखारकर किया सम्मान, पीढ़ी संवाद में उमड़ा भावनाओं का सैलाब ✨
बैतूल।अंतर्राष्ट्रीय वृद्धजन दिवस के अवसर पर ताप्ती आनंद क्लब और मां शारदा सहायता समिति द्वारा आयोजित पीढ़ी संवाद कार्यक्रम ने समाज को संस्कार और सम्मान की नई राह दिखाई। मध्यप्रदेश शासन के आनंद विभाग से संबद्ध राज्य आनंद संस्थान के तत्वावधान में आयोजित इस विशेष अवसर पर बुजुर्गों का चरण पखारकर, शाल, माला और बुके भेंट कर सम्मानित किया गया।
👉 समाजसेवियों और शिक्षादान में योगदान देने वालों का सम्मान
कार्यक्रम में विभिन्न समाजों से जुड़े ऐसे समाजसेवियों को सम्मानित किया गया जिन्होंने मृत्युभोज और दहेज प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करवाने में योगदान दिया है।
इनमें प्रमुख रहे
समाजसेवी के.के. मालवीय,
शिक्षा दान के क्षेत्र में कार्यरत के.सी. मालवीय,
श्री सीताराम पांडे,
श्री राजेंद्र अग्रवाल,
श्रीमती आशा अग्रवाल,
श्री निलेश अग्रवाल,
श्रीमती प्राची अग्रवाल,
श्रीमती खेड़ले।
इन सभी का आरती उतारकर और पैर पखारकर भावपूर्ण सम्मान किया गया।
👉 बुजुर्गों को समय और संवाद की आवश्यकता
इस अवसर पर प्रमोद अग्रवाल, प्रकाश देवड़े और सुदामा सूर्यवंशी ने कहा कि आज बुजुर्गों को सिर्फ सम्मान ही नहीं बल्कि समय और संवाद की भी जरूरत है। एक पीढ़ी से दूसरी और तीसरी पीढ़ी तक अनुभवों का आदान-प्रदान तभी संभव है जब संवाद की परंपरा जीवित रहे
👉 आशीर्वाद लेकर निखरती है पीढ़ी
कार्यक्रम में शैलेंद्र बिहारिया, संतोष ओंकार, निमिष मालवीय, राजू मालवीय, दीपा मालवीय, हेमासिंह चौहान और हिमांशु सोनी ने सभी वरिष्ठजनों का पैर पखारकर उनका आशीर्वाद लिया।
इस मौके पर हेमसिंह चौहान और दीपा मालवीय ने कहा—
“हमारे बुजुर्ग हमारे वटवृक्ष हैं, जिनकी छांव में पूरा परिवार शीतलता प्राप्त करता है।
👉 बुजुर्ग हुए भावुक
सम्मान प्राप्त कर समाजसेवी के.के. मालवीय भावुक हो उठे। उन्होंने कहा—
“संस्था का यह आयोजन निश्चित रूप से प्रशंसनीय है। आज के युवा अभी भी संस्कारों को नहीं भूले हैं। इतना सम्मान पाकर मेरी आंखें भर आईं।”
👉 सनातन परंपरा और बुजुर्गों का महत्त्व
इस अवसर पर प्रकाश बंजारे ने कहा कि सनातन धर्म में बुजुर्गों का आशीर्वाद लिए बिना किसी भी कार्य को शुरू करने की परंपरा रही है। हमें घर से निकलते समय अपने बुजुर्गों का आशीर्वाद लेना चाहिए।
📌 संदेश साफ है—
बुजुर्ग हमारे जीवन की जड़ें हैं। उनकी छांव में ही समाज और परिवार फलता-फूलता है। पीढ़ी संवाद जैसे कार्यक्रम यह बताते हैं कि आज भी समाज में संस्कार और परंपरा की डोर मजबूत है।
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