Breaking News- बैतूल ग्राम पंचायत डोक्या में घोटाले का गढ़: बिना निर्माण के उड़ाए गए आठ लाख, यदि कार्यवाही नहीं होती है तो शिकायतकर्ता जाएगा न्यायालय

नितिन अग्रवाल 



 बैतूल ग्राम पंचायत डोक्या में घोटाले का गढ़: बिना निर्माण के उड़ाए गए आठ लाख

*सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत के बाद मचा हड़कंप, शिकायतकर्ता ने कहा कार्रवाई नहीं हुई तो जाएंगे न्यायालय की शरण में


*बाउंड्रीवाल का कार्य शिकायत के बाद हुआ शुरू, सरपंच-सचिव की कार्यशैली पर उठे सवाल*


बैतूल :- जिले के विकासखंड भीमपुर की ग्राम पंचायत डोक्या इन दिनों लगातार चर्चाओं में बनी हुई है। हर दिन यहां नए-नए घोटालों की परतें खुलती जा रही हैं। हैरानी की बात यह है कि इन गम्भीर अनियमितताओं के बावजूद ना जनपद पंचायत के सीईओ की नजर इस ओर जाती है, ना खंड पंचायत निरीक्षक कुछ कहते हैं और ना ही तकनीकी अमला कोई संज्ञान ले रहा है। सवाल उठता है कि क्या ग्राम पंचायत डोक्या को खुलेआम भ्रष्टाचार की छूट दे दी गई है?

*आखिर क्या है पूरा मामला*

ग्राम पंचायत डोक्या के पोषित ग्राम मेंढा स्थित प्राथमिक शाला में SC-ST कल्याण विभाग की ‘सघन बस्ती विकास योजना’ के अंतर्गत बाउंड्रीवाल निर्माण की स्वीकृति मिली थी। इस कार्य हेतु दिनांक 03/10/2023 को TS (तकनीकी स्वीकृति) क्रमांक 427 जारी की गई थी। इस योजना के तहत ₹8,00,000 (आठ लाख रुपये) की राशि स्वीकृत की गई थी।

यहां से शुरू होती है फर्जीवाड़े की कहानी

सरपंच-सचिव की मिलीभगत से बिना किसी निर्माण कार्य के पूरे आठ लाख रुपये के बिल-बाउचर लगाकर राशि का आहरण कर लिया गया। निर्माण स्थल पर कोई काम नहीं हुआ था, लेकिन कागजों पर पूरा भुगतान कर लिया गया। ऐसा प्रतीत होता है कि इन्हें यह विश्वास था कि कोई भी अधिकारी जांच नहीं करेगा और न ही कोई कार्रवाई होगी।लेकिन जब इस पूरे मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन पर दर्ज की गई, तो अफसरों की नींद टूटी और सरपंच-सचिव ने बाउंड्रीवाल का कार्य जल्दबाजी में शुरू करवा दिया। अब बड़ा सवाल यह है कि यदि शिकायत नहीं होती, तो क्या यह कार्य कभी शुरू होता? सूत्रों के अनुसार अब शिकायतकर्ता पर लगातार फोन कर शिकायत बंद करने का दबाव डाला जा रहा है। जब इस मामले को लेकर जनपद पंचायत के सीईओ से बात की गई, तो उन्होंने साफ कहा कि उन्हें इस विषय की जानकारी नहीं है और वे “दिखवाने” की बात कहकर टाल गए। सवाल यह भी है कि जब सीएम हेल्पलाइन पर शिकायत दर्ज है, तो वरिष्ठ अधिकारियों को इसकी सूचना क्यों नहीं है? और अगर है तो अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई? इस पूरे प्रकरण ने ग्राम पंचायत डोक्या में स्थानीय प्रशासन की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। जनता जानना चाहती है कि क्या ग्राम पंचायतों में इस तरह की लूट-खसोट पर आंखें मूंदे रहेंगे अफसर? और क्या ऐसे मामलों में केवल “दिखवाता हूं” जैसे जवाब देकर जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ा जाएगा?

यह मामला दर्शाता है कि अगर आम नागरिक सतर्क न हों और शिकायत न करें तो योजनाओं की राशि किस तरह हड़प ली जाती है। अब देखना यह है कि प्रशासन इस पर कब तक और क्या ठोस कार्रवाई करता है, या यह मामला भी अन्य शिकायतों की तरह फाइलों में दबा दिया जाएगा। परंतु शिकायतकर्ता का कहना है कि यदि उच्च अधिकारी इस पूरे मामले पर दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं करते हैं तो इस मामले को लेकर न्यायालय तक जा सकते हैं

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ